• ब्लैक सी में रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाना पूरी दुनिया के लिए इतना अहम क्यों है?

    ब्लैक सी में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रोकने के लिए अमेरिका लगातार प्रयास कर रहा है. रूस और यूक्रेन के बीच खाद्य पदार्थ निर्यात के लिए तो ये एक अहम रास्ता है ही, साथ ही पूरी दुनिया के लिए काफी महत्वपूर्ण है

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    ब्लैक सी में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रोकने के लिए अमेरिका लगातार प्रयास कर रहा है. रूस और यूक्रेन के बीच खाद्य पदार्थ निर्यात के लिए तो ये एक अहम रास्ता है ही, साथ ही पूरी दुनिया के लिए काफी महत्वपूर्ण है.

    पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका ने रूस और यूक्रेन के साथ अलग-अलग बातचीत की ताकि ब्लैक सी में लड़ाई रोकी जा सके क्योंकि यह इलाका अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों के व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अमेरिका का यह प्रयास दोनों देशों के बीच युद्ध खत्म करने की बड़ी योजना का हिस्सा है.

    इसके बाद व्हाइट हाउस ने बताया कि दोनों देशों ने युद्ध विराम पर सहमति जताई है और अब जहाजों को वहां से गुजरने की अनुमति दी जा सकती है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि यह युद्ध विराम तुरंत लागू हो जाएगा. लेकिन रूसी सरकार का कहना है कि यह तब लागू होगा जब कुछ शर्तें मान ली जाएंगी, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय खाद्य व्यापार से जुड़ी रूसी कंपनियों और बैंकों पर से प्रतिबंध हटाने की शर्तें.

    ऐसा ही समझौता 2022-2023 के बीच हुआ था, जिसे तुर्की और संयुक्त राष्ट्र ने करवाया था. इससे यूक्रेन का अनाज बिना किसी रुकावट के निर्यात हो सकता था. लेकिन रूस ने इस समझौते को तोड़ दिया था क्योंकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना था कि पश्चिमी देशों ने उनकी कुछ शर्तें नहीं मानी, जिसमें रूसी कृषि बैंक को स्विफ्ट से फिर से जोड़ना भी शामिल था. 'स्विफ्ट' बेल्जियम में स्थित तेज और सुरक्षित पैसा ट्रांसफर करने वाली प्रणाली है.

    संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा बेहतर करने की दिशा में ऐसे नए समझौते से मदद मिलेगी.

    ब्लैक सी - रूस और यूक्रेन के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग

    रूस-यूक्रेन के मतभेदों के बावजूद कई विशेषज्ञों का मानना है कि जल्द ही ब्लैक सी में युद्ध विराम हो सकता है. लिथुआनिया में रहने वाली अमेरिकन स्टडीज एक्सपर्ट एलेक्जेंड्रा फिलिपेंको इसे "छोटी बातचीत से मिली बड़ी सफलता” बताती हैं. उनका मानना है कि इससे लड़ाई बढ़ने की आशंका कम होगी और यह दोनों देशों और पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद होगा.

    संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, जुलाई 2022 से जुलाई 2023 के बीच इस समझौते के तहत यूक्रेन ने 3.2 करोड़ टन अनाज 45 देशों में भेजा था. उस समय संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने इसे वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया था.

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    रूस के लिए ब्लैक सी दूसरे देशों में अनाज भेजने का एक मुख्य मार्ग है. 2021-2022 में जब युद्ध पूरी तरह शुरू नहीं हुआ था तब फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार, रूस ने अपनी 86 फीसदी अनाज की खेप अजोव-ब्लैक से बेसिन के बंदरगाहों से भेजा था.

    यूक्रेन दुनिया के सबसे बड़े अनाज निर्यातकों में से एक है. इसके मुख्य खरीदार उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में हैं. ब्लैक सी में स्थिरता यूक्रेन की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है.

    क्या है ब्लैक सी की वर्तमान स्थिति

    यूरोपीय ब्रॉडकास्ट यूनियन को हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन ब्लैक सी की स्थिति नियंत्रित कर रहा है. जेलेंस्की ने कहा, "रूसियों का लंबे समय से ब्लैक सी कॉरिडोर पर नियंत्रण नहीं रहा है. हम इसके लिए लड़ रहे हैं क्योंकि यह युद्ध समाप्त करने की दिशा में अहम कदम है. हम ब्लैक सी की स्थिति नियंत्रित कर रहे हैं.”

    यूक्रेनी राजनीतिक विश्लेषक, आलेक्जांडर पालिय ने डीडब्ल्यू को बताया कि पिछले साल रूस को ब्लैक सी के पूर्वी हिस्से तक रोक दिया गया था. अब वह इस क्षेत्र में बड़े हमले नहीं कर पा रहा है. उन्होंने बताया कि यूक्रेन ने यह उपलब्धि समुद्री ड्रोन की मदद से हासिल की है.

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    इसका नतीजा यह हुआ है कि अनाज का व्यापार अब लगभग युद्ध से पहले की स्थिति में लौट आया है. पालिय मानते हैं कि नया अनाज समझौता रूस के लिए ज्यादा फायदेमंद होगा.

    उन्होंने यह भी कहा, "यूक्रेन कभी भी रूसी जहाजों पर हमला कर सकता है, जो तेल या अन्य सामान निर्यात कर रहे हैं. लेकिन यूक्रेन पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को लेकर सतर्क है और तुर्की और अमेरिका जैसे देशों की सहमति भी उसके लिए आवश्यक है. इसी वजह से यूक्रेन बहुत सावधानी से काम कर रहा है.”

    ब्लैक सी में रूस का बढ़ता दबदबा

    रुसी सरकार का मानना है कि रूस की मौजूदगी ब्लैक सी में केवल व्यापार के लिए ही नहीं बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है.

    अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, रूस के पास ब्लैक सी के कोस्टलाइन का केवल दस प्रतिशत हिस्सा है. लेकिन अपनी बढ़ती पहुंच के चलते रूस अब करीब एक-तिहाई हिस्से को नियंत्रित कर रहा है.

    2014 में रूस ने गैरकानूनी तरीके से क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था. इसके अलावा दक्षिण काकेशस क्षेत्र में अब्खाजिया नाम का एक अमान्य गणराज्य है, जहां रूसी सेना तैनात है. इसी की वजह से रूस ने ब्लैक सी में अपनी पकड़ मजबूत की है. रूस में अब्खाजिया में तैनात सेना को देश की दक्षिणी सीमाओं की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी माना जाता है.

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    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 2021 के एक बयान से यह समझा जा सकता है कि रूस ब्लैक सी में अपनी ताकत को कितना अहम मानता है.

    इसका नमूना नवंबर 2021 में देखा गया जब अमेरिकी नौसेना का एक जहाज ब्लैक सी में दाखिल हो गया था तब पुतिन ने कहा, "अब जैसा कि आप जानते हैं, एक अमेरिकी जहाज ब्लैक सी में आ गया है. हम इसे दूरबीन से भी देख सकते हैं और अपनी रक्षा प्रणालियों के निशाने से भी."

    पुतिन ब्लैक सी में रूस की मौजूदगी को और बढ़ाना चाहते हैं. उन्होंने यूक्रेन के एक और बंदरगाह वाले शहर ओडेसा पर कब्जा करने की धमकी दी है, अगर यूक्रेन रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों को मान्यता नहीं देता है.

    जेलेंस्की: रूस बातचीत को खींच रहा है

    रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि रूस चाहता है कि नया ब्लैक सी समझौता भी पहले वाले अनाज समझौते पर आधारित हो. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि रूसी हितों की सुरक्षा जरूरी है.

    रूस की मांगों का जवाब देते हुए व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका "रूस की कृषि और उर्वरक निर्यात को फिर से वैश्विक बाजार में लाने समुद्री बीमा की लागत कम करने और बंदरगाहों व भुगतान प्रणालियों तक रूस की पहुंच को बेहतर बनाने में मदद करेगा.”

    पिछले हफ्ते पेरिस में नाटो और यूरोपीय नेताओं के साथ बैठक के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा था कि रूस पर लगे प्रतिबंध हटाना "कूटनीति के लिए एक बड़ी गलती होगी.” उन्होंने रूस पर बातचीत को जानबूझकर खींचने का आरोप भी लगाया था और कहा कि रूस अमेरिका को फालतू और अंतहीन शर्तों में उलझाना चाहता है ताकि उसे और समय मिल जाए और फिर वह और जमीन हड़प सके.

    विशेषज्ञों का मानना है कि ब्लैक सी में युद्ध विराम समझौते से रूस को कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि उसे बड़ा फायदा मिलेगा. रूस की शर्तें दिखाती हैं कि वह जितना हो सके उतना फायदा उठाना चाहता है और बदले में बहुत कम रियायत देने को तैयार है.

     

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